जीने की चाह
अपने लोग बेगाने से लगने लगे हैं
अनजाने लोग जीवन में अपने लगने लगे हैं
जी हां मैं फिर से जिंदगी जीने लगी हूं
अपने लोगों की तो यादें ही बंसी रहेंगी
जीवन में ये यादें ही तो नये नये पैगाम लाती है
पैगाम हमारे लिए नये नये आयाम बन जाते हैं
उन्हीं उपलब्ध आयामों के साथ सहारा लेते हुए
जीवन के हर पथ पर आगे बढ़ना है हंसते हुए
जीने का आनंद भी उठाते चल हर पल का स्वागत करते हुए
बीते हुए पलों से सीख लेकर मैं आगे बढ़ने लगी हूं
जिंदगी की राहों में कुछ रिश्तों ने मुख फेर लिया तो कोई ग़म नहीं
नयी राहों पर चलते चलते इस समूह के मित्रों ने बता दिया कि हम किसी से कम नहीं
मुझे यकीन है नये पथ पर मंज़िल मिलेगी जरूर
गर राह में कांटे हो लाख बिछे पर फूल खिलेंगे जरूर
और इन फूलों की खुशबू से सारा जहां महकेगा जरूर
जी हां मेरे साथियों, मैं फिर से जिंदगी जीने लगी हूं