जीने का मकसद
किताबों के बीच
घिरी बैठी हूं पर
ज्ञान एक अक्षर का नहीं
यूं ही पन्ने पलटती
रहती हूं
उन पर लिखा क्या है
उससे मुझे कोई सरोकार नहीं
न मैंने खुद को कभी
खोजा
न इस दुनिया को
न उसके बाहर भी किसी
दुनिया को
मैं कर क्या रही हूं
मेरे जीने का मकसद क्या है
मैंने इस धरती पर जन्म क्यों लिया
बस कुछ चंद सांसे भरकर
उसके पश्चात
मरने को।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001