“जीना-मरना”
“जीना-मरना”
जीना, जीना, जीना
मगर पता नहीं
मरना सीखने के पहले
कितने लोग सही अर्थ में
जिन्दगी जी पाते हैं,
मरकर भी जो
दुनिया में अमर हो जाते हैं।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“जीना-मरना”
जीना, जीना, जीना
मगर पता नहीं
मरना सीखने के पहले
कितने लोग सही अर्थ में
जिन्दगी जी पाते हैं,
मरकर भी जो
दुनिया में अमर हो जाते हैं।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति