जीत
देख तेरा उगता सूरज न अस्त हो।
उमड़ते हुए वो हौसले न पस्त हो।।
आसमाँ झुक जाये तेरे क़दमों पे।
उड़ान ऐसी तुझ में बड़ी मस्त हो।
मंज़िल ख़ुद चली आये तेरे पास।
जूनून कुछ ऐसा ज़बरदस्त हो।।
जीत का ख़ून है बहता तेरी रगों में।
गवारा नहीं तुझे कभी शिकस्त हो।।
विजयपथ पे बस बढ़ता ही चल तू।
डर की दीवारें सब तेरी ध्वस्त हो।।
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