जीत कर जिससे मैं हारा था कभी
जीत कर जिससे मैं हारा था कभी
जिंदगी से भी वो प्यारा था कभी
बन गया है अजनबी सा आज जो
मीत वो भी तो हमारा था कभी
दौड़कर दरवाजे पर वो आ गया
घंटियां बजना इशारा था कभी
खोल कर उनका दरीचा देखना
जब बहाने से पुकारा था कभी
बेबसी ने इतना बेबस कर दिया
पहले उनमें भी तरारा था कभी