जीते तो हम आज भी हैं
जीते तो हम आज भी हैं तेरे बिना मगर कोई कमी सी खलती है,
सारे जहाँ की दौलत है फिर भी कोई दुआ इस दिल में पलती है,
दूर रह लू तुझसे मगर ये तुझे देखे बिना न सोने की आदत कहाँ बदलती है,
सुकून मेरे बिना पाना सीख लिया है तूने मगर मुझसे ये जिंदगी कहां संभलती है,
जब होता है चारों तरफ अँधेरा मेरे लिए तब भी तेरी यादे चाँद की तरह चमकती है,
छोड़ कर तू खुश है मुझे मझधार में मगर मेरे इस दिल पे मेरी एक न चलती है,
पीकर तुझे भूल जाना होता है आसान मगर सब बदल जाता है जब भी उतरती है,
वाकिफ हूँ तेरी हर अदा से मैं फिर भी तुझे ही पाने को मेरी जान मचलती है,