जीते जी काहे मरते हो
इतनी चिंता काहे करते हो
यूँ जीते जी काहे मरते हो
दुख मनाने से दुःख कम नही होता
अपनी आत्मा पे फिर बोझ काहे धरते हो
यूँ जीते जी काहे मरते हो
दुख को सहने का प्रयास क्यूँ नही करते हो
यूँ सोच सोच के दिमाग़ का क्यूँ दही करते हो
माना कि सुख दुःख सब भाग्य में लिखा होता है
दुख से ही लड़ो भाग्य से काहे लड़ते हो
यूँ जीते जी काहे मरते हो
कठिनाई में घबराने से कठिनाई और बढ़ती है
थोड़ा धीरज धरके चलो हर मुसीबत टलती है
कठिनाई इतनी कठिन नही ‘अर्श’ जितना तुम समझते हो
कठिनाई से इतना काहे डरते हो
इतनी चिंता काहे करते हो
यूँ जीते जी काहे मरते हो …..