*जिस सभा में जाति पलती, उस सभा को छोड़ दो (मुक्तक)*
जिस सभा में जाति पलती, उस सभा को छोड़ दो (मुक्तक)
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जिस सभा में जाति पलती, उस सभा को छोड़ दो
जाति के नारे गढ़े जो, आज उनको तोड़ दो
जातिवादी भावना के, सामने तुम मत झुको
जाति के माहौल का रुख, नौजवानों मोड़ दो
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451