जिस शहर में …
जिस शहर में….
जिस शहर में तू ना आये
वो शहर वीरान है
चल रही है तेरी धड़कन
तब तक मुझमें जान है।
जिस शहर में….
मेरी दुनियाँ तुझमें बसती
तुझ बिन ये बेकार है
तू जब आये , आये खुशियाँ
गम तेरे जाने पर छा जाए
बस ये तमन्ना दिल में रहती
रूह हो मेरी , साँस हो तेरी
दिल दे तेरे दिल की फेरी
चाहत मेरी, इच्छा तेरी
जीवन साथी बन जाओ मेरी
पाऊँ तुझको हर जनम में
तो ही जीवन आबाद है….
जिस शहर में….
मेरी नजरें, तुझको ढूंढे ….
अँखियों की बुझती न प्यास है
तू हो सामने ,तब तक जन्नत
वरना जहन्नुम साथ है
ये ही तमन्ना दिल मे रहती
पास हो मेरे, सपने तेरे
चाहूँ तुझको ,साँझ- सवेरे
सपने तेरे ,करने को मेरे
रूह से लग जाओ अब तो मेरे
अब तो आओ , न तड़पाओ
बिन तेरे मन तो उदास है…..
जिस शहर में….
नन्दलाल सुथार”राही”