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14 Jan 2017 · 1 min read

जिस भाई के खातिर मैने अपनी किडनी बेची थी

गली सब देख डाली पर शहर पूरा नहीँ देखा

मुहब्बत के मुसाफिर ने कभी सहरा नहीँ देखा

कि जिस भाई के खातिर मैने अपनी किडनी बेची थी

वही भाई कई दिन से मेरा चेहरा नहीँ देखा

Language: Hindi
216 Views
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