जिस दिन साँसे रुक जाएगी
जिस दिन साँस मेरी रुक जाएगी।
देखने मेरी लाश को भीड़ उमड़ आएगी।
जो पूछते नही हाल चाल भी मेरा।
देखना उन को ही रुदायी तड़फाएगी।
मरना है जानते हैं हम सभी ये तो
फिर भी ये मौत आ कर सताएगी।।
उधार में मिल जाती एक उम्र और दोस्तों।
ये तो जुसुतजु ए यार में गुजर जाएगी।
फक्त अश्क़ों का साथ मिला ता उम्र मुझे और
मरने पर भी अश्क़ ए सौगात साथ जाएगी।।
लम्बा है सफर राहें जी जिंदगी का दोस्तो
देखना है कौन कितना साथ निभाएगी।।
रंज ओ गम के झेलो में फंसे हैं लोग इतना।
क्या कभी उन्हें मेरी सच्ची याद आएगी।
✍?संध्या चतुर्वेदी?