जिस घर में—
जिस घर के खाने का जायका लजीज़ नहीं होता है।
तन-मन स्वस्थ रहता कोई भी मरीज़ नहीं होता है।
जिस घर में संस्कृति संस्कारों का पाठ पढ़ाया जाता-
उस घर का बच्चा कभी भी बद्तमीज़ नहीं होता है।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
जिस घर के खाने का जायका लजीज़ नहीं होता है।
तन-मन स्वस्थ रहता कोई भी मरीज़ नहीं होता है।
जिस घर में संस्कृति संस्कारों का पाठ पढ़ाया जाता-
उस घर का बच्चा कभी भी बद्तमीज़ नहीं होता है।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली