— जिस्म वहीँ रहा —
आया दुनिया में
खाया पिया दुनिया में
सारे अरमान पूरे किये
और चला गया दुनिया से !!
सब की जिन्दगी में
सब के साथ हुआ
पर फिर भी जिस्म
सबूत बन अटका रहा !!
और जिन्दगी गुजर गयी
नही हुई तो कभी पूरी
किसी की ख्वाईशे
अपनी हसरत लिए
खड़ी रही , किसी ने
किस्म के जिस्म में !!
जो खत्म कभी नही होंगी
वही होती हैं . हसरते
इंसान इंसान को छोड़ आया
जाकर फनाह कर आया
फिर भी वापिस आने
वालों के अरमान
सर पर चढे रहे !!
कैसा है यह दस्तूर
किस का है ये कसूर
शान्त क्यूं नही रहता मन
किसी का , क्यूं लिए
फिरता है भूचाल
हर पल हुस्न का !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ