जिसने दिया था दिल भी वो उसके कभी न थे।
गज़ल
221/2121/1221/212
जिसने दिया था दिल भी वो उसके कभी न थे।
दिखते हैं आज जैसे वो वैसे कभी न थे।
जो मन की बात आज सरेआम कर रहे,
वो दिल की बात दिल से भी कहते कभी न थे।
दुनियां को जीतने का जिन्हें पूरा था यकीन,
वो इस तरह भी हार के बैठे कभी न थे।
उसने वतन के वास्ते तन मन लगा दिया,
तूने लगा दी टांग तुझ जैसे कभी न थे।
जो जिंदगी के साथ हों औ’र जिंदगी के बाद,
रिश्ते सुने तमाम थे ऐसे कभी न थे।
प्रेमी बनो तो जीत लो हर जंग-ए- जिंदगी,
जब तक रहे थे प्यार से शिकवे कभी न थे।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी