Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2024 · 1 min read

जिन नयनों में हों दर्द के साये, उसे बदरा सावन के कैसे भाये।

जिन नयनों में हों दर्द के साये, उसे बदरा सावन के कैसे भाये,
जो भाव मन के मूक-बधिर हो जाए, तो क्षितिज पर घटा कैसे गहराए।
जब संगीत जीवन का रुग्ण हो जाए, नृत्य मयूर का भी तब देखा ना जाए,
जो आश्रय की छत हीं बेघर हो जाए, तो बूंदें बारिश की भी चोटिल कर जाए।
दिन मिलन के यादों की टीस बढाए, और झूले सावन के आलोचक बन जाए,
कोयल की बोली फिर रास ना आये, ये सावन कैसा जो बंजरता लाये।
नदियाँ बांधों के बस में ना आये, अब जाने कितने ये शहर डुबाये,
कल्पना की वो पुल जो तुझ तक पहुंचाए, ये बहाव उसे भी संग ले जाए।
तपन सूरज की बदरा में समाये, पर नयनों में बसा सावन बरसने से कतराए,
जाने हृदय की धरती कितनी तप जाए, कि अश्रु आँखों तक पहुँच ना पाए।
ये बूंदों की अटखेलियां तन को छू जाए, पर मन पर शून्यता की बेहोशी है छाये,
इस हरे रंग में धरती रंग जाए, पर कोरी स्याही हीं कुछ लकीरों को भाये।
कभी सावन में वो जो कागज़ के नाव चलाये, अब झरोखे में ठहर कर वक़्त बिताये,
आयामों का सौंदर्य कभी जिन्हें लुभाये, वो अब बंद किवाड़ों में खुद को हैं छुपाये।
जिन नयनों में हों दर्द के साये, उसे बदरा सावन के कैसे भाये,
जो भाव मन के मूक-बधिर हो जाए, तो क्षितिज पर घटा कैसे गहराए।

1 Like · 63 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Manisha Manjari
View all
You may also like:
माँ ....लघु कथा
माँ ....लघु कथा
sushil sarna
നിന്റെ ഓർമ്മകൾ
നിന്റെ ഓർമ്മകൾ
Heera S
दोहे- उड़ान
दोहे- उड़ान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सपने
सपने
Santosh Shrivastava
हिंदी की भविष्यत्काल की मुख्य क्रिया में हमेशा ऊँगा /ऊँगी (य
हिंदी की भविष्यत्काल की मुख्य क्रिया में हमेशा ऊँगा /ऊँगी (य
कुमार अविनाश 'केसर'
आजकल के बच्चे घर के अंदर इमोशनली बहुत अकेले होते हैं। माता-प
आजकल के बच्चे घर के अंदर इमोशनली बहुत अकेले होते हैं। माता-प
पूर्वार्थ
दर्द  जख्म कराह सब कुछ तो हैं मुझ में
दर्द जख्म कराह सब कुछ तो हैं मुझ में
Ashwini sharma
Dilemmas can sometimes be as perfect as perfectly you dwell
Dilemmas can sometimes be as perfect as perfectly you dwell
Chaahat
आत्म मंथन
आत्म मंथन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
कवि के हृदय के उद्गार
कवि के हृदय के उद्गार
Anamika Tiwari 'annpurna '
4588.*पूर्णिका*
4588.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*जीवन को सुधारने के लिए भागवत पुराण में कहा गया है कि जीते ज
*जीवन को सुधारने के लिए भागवत पुराण में कहा गया है कि जीते ज
Shashi kala vyas
मन से उतरे लोग दाग धब्बों की तरह होते हैं
मन से उतरे लोग दाग धब्बों की तरह होते हैं
ruby kumari
निकट है आगमन बेला
निकट है आगमन बेला
डॉ.सीमा अग्रवाल
लोग कितनी आशा लगाकर यहाॅं आते हैं...
लोग कितनी आशा लगाकर यहाॅं आते हैं...
Ajit Kumar "Karn"
कभी जिस पर मेरी सारी पतंगें ही लटकती थी
कभी जिस पर मेरी सारी पतंगें ही लटकती थी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
सत्य असत्य से हारा नहीं है
सत्य असत्य से हारा नहीं है
Dr fauzia Naseem shad
बिना रुके रहो, चलते रहो,
बिना रुके रहो, चलते रहो,
Kanchan Alok Malu
আগামীকালের স্ত্রী
আগামীকালের স্ত্রী
Otteri Selvakumar
सब सूना सा हो जाता है
सब सूना सा हो जाता है
Satish Srijan
"मुश्किल है मिलना"
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन में निरंतर जलना,
जीवन में निरंतर जलना,
जय लगन कुमार हैप्पी
कृष्ण भक्ति में मैं तो हो गई लीन...
कृष्ण भक्ति में मैं तो हो गई लीन...
Jyoti Khari
सर्द सा मौसम है धूप फिर से गुनगुनाई है,
सर्द सा मौसम है धूप फिर से गुनगुनाई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Crush
Crush
Vedha Singh
नौकरी
नौकरी
Rajendra Kushwaha
हाथ में उसके हाथ को लेना ऐसे था
हाथ में उसके हाथ को लेना ऐसे था
Shweta Soni
राम
राम
Sanjay ' शून्य'
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
आर.एस. 'प्रीतम'
याचना
याचना
Suryakant Dwivedi
Loading...