जिन्हें भूलने मे जमाने लगे हैं।
गज़ल
122….122….122….122
जिन्हें भूलने मे जमाने लगे हैं।
वहीं मेरे सपनों मे आने लगे हैं।
जिन्होंने रखा दूर मुझको सदा ही,
वही मुझको अपना बताने लगे हैं।
असल मुद्दों से दूर जनता रहेगी,
वो मथुरा व काशी घुमाने लगे हैं।
कहाँ राम का राज्य है,अच्छे दिन वो,
ये धोके समझ सबको आने लगे हैं।
वो महगाई में सोच कैसे जियेंगे,
जो इक बार भोजन पकाने लगे हैं।
जिन्हें अपने गीतों पे था नाज यारो,
वो मेरी गज़ल गुनगुनाने लगे हैं।
जो व्योहार दुश्मन सा करते रहे थे,
वही प्यार प्रेमी जताने लगे हैं।
…….✍️ प्रेमी