जिन्दगी
जिन्दगी भर को तुझे अपना बनाते है
जिन्दगी की शाम को हर पल लुभाते है
प्यार की राहें चलें मिल छोड़ नफरत को
भूल जो हमने कभी की अब भुलाते है
गलतियों को रोज ऐसे फिर न तुम देखों
जिन्दगी में रंग सारे हम सजाते है
अब मुहब्बत फल रही दिल में युगों से है
फासलें जो साथ तेरे थे मिटाते है
नाव जैसी जिन्दगी है पार जाऊं मैं
राह चलते लोग क्यों ऐसे फसाते है
दिल खिलोना वो बना कर खेलता है क्यों
वो समझ हमकों पतंगा सा जलाते है
ढूढ़ते भगवान को हर धाम मिल हम सब
छोड़ दिल को क्यों उसे मठ में बसाते है
पास छुप छुप के हमारे वो चले आते
प्यार के दो बोल पर वो दिल लुटाते है
मैं बनी ऐसे पिया के मुँह की मुरली
जो बना के आँख का काजल रिझाते है
माँगले तुमको खुदा से मधु गवा खुद को
दर्द दे वो आज क्यों हमको डराते है