“जिन्दगी में”
“जिन्दगी में”
जिन्दगी में कुछ घाव ऐसे भी होते हैं, जिन्हें वक्त की उंगलियाँ भरने के बजाय कुरेदती हैं; फिर उसमें से एक दर्द भरी टीस निकलती है, जो इंसान को जिन्दगी भर तड़पाती चली जाती है।
(चुटकी भर सिन्दूर- कहानी संग्रह से)
“जिन्दगी में”
जिन्दगी में कुछ घाव ऐसे भी होते हैं, जिन्हें वक्त की उंगलियाँ भरने के बजाय कुरेदती हैं; फिर उसमें से एक दर्द भरी टीस निकलती है, जो इंसान को जिन्दगी भर तड़पाती चली जाती है।
(चुटकी भर सिन्दूर- कहानी संग्रह से)