जिन्दगी में ठोकर
जिन्दगी में
सबक देती है
ठोकर
सड़क पर
पड़ा पत्थर
यहाँ वहाँ
लुटकता रहता है
ठोकरों से
शिकायत
करता नहीं
गुमनाम जिन्दगी
जीता है
लेते जो
सबक ठोकर से
आसान होती
जिन्दगी
उनकी आगे
जमाना देता
इन्सान को
ठोकर बहुत
और देती
पहचान
अपने पराये की
समझो मत
ठोकर को दुश्मन
लो सीख
जीवन में इससे
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल