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21 Mar 2021 · 1 min read

जिन्दगी देने वाले से

जिन्दगी देने वाले से ही
उसकी जिन्दगी छीनते हो
उससे मोलभाव करते हो
एक एक पैसे का हिसाब रखते हो
उसका सब खजाना तुम्हारा
एक वह ही तुम्हारा नहीं
उसी का सब दिया
उसी पर खर्च न करके
उसी के हाथों से झपटते हो
यह सोच आई तो आई कहां से
कोई कुछ समझाये तो
किसी एक की नहीं सुनते हो
समझते हो खुद को बहुत ही
समझदार
इस भौतिकतावाद की दौड़ में
शामिल होकर
पर यह सब मिट्टी स्वरूप पाने के लिए
तुम बहुत कुछ बेशकीमती
हीरे जवाहरात
जाने अंजाने पीछे छोड़ते हो।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Comment · 238 Views
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