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17 May 2024 · 1 min read

जिन्दगी का मामला।

जिन्दगी का मामला सख्त लगता हैं।
यूं सुधरने में थोडा तो वक्त लगता हैं।।

ये आदत है छूटते छूटते ही जायेगी।
कुछ भी छूटे जिन्दगी में दर्द होता है।।

तेरे यूं जवाब देनेसे दिले मां रोता है।
अपने पिसर पर मां का हक होता है।।

अब ना कहीं पे एहतराम मिलता है।
इश्क में यह जमाना दुश्मन बनता है।।

क्या पता दे दे हम तुम को अपना।
बंजारों का कहां पे कोई घर होता है।।

चांद और भी खूबसूरत हो जाता है।
जब छिप कर चिलमन से देखता है।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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