Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Mar 2020 · 1 min read

जिनको जल्दी थी वे चले गए ।

रफ्ता रफ्ता घूम रही ।
यह दुनिया है सारी ।
आप हो कि कर रहे ।
दौड़ने की तैयारी ।
यातायात का न कर पालन ।
वो किधर भी सैर किए ।
जिनको जाने की बहुत जल्दी थी ।
वो दुनिया से चले गए ।
कहते वो हमसे ।
बढने के लिए आगे कोल्हू का बैल बनो ।
छोङो साफ सफाई मैल मे ही रहो सने ।
काम करते कपड़े तक गंदे हो गए ।
सेहत भी अपनी कुछ खराब से हो गए।
खरगोश जैसे दौङे थे ।
पर आगे जाके सो गए।
जिनको जाने की बहुत जल्दी थी ।
वे दुनिया से चले गए ।
कितना भी कमाते हो ।
न कभी चैन फरमाते हो ।
रूमाल से पोंछ पसीना ।
आगे को बढ जाते हो ।
थका -हारा ये तन -बदन ।
इसको घिसते जाते हो ।
होकर शिकार फिर ।
रोग, शोक के बिस्तर पर फिर लेट गए।
जिनको जाने को बहुत जल्दी थी ।
वे दुनिया से चले गए ।
धीरे-धीरे रे मना ।
धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घङा ।
तब फूले -फले छाव होय ।
मंद मंद से जब हवा चलती है ।
आंधी तो सदैव तबाही करती है ।
शनै -शनै ऋतु रोमांच दिखाए ।
जितनी है चादर ।
उतने ही पांव फैलाए ।
शांति से सोच समझकर ।
जो रहते है बौराए ।
जिनको जाने की बहुत जल्दी थी ।
वे दुनिया से चले गए ।

⏰⏰Rj Anand Prajapati ⏰⏰

Language: Hindi
1549 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मजदूर
मजदूर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
वर्ल्ड रिकॉर्ड 2
वर्ल्ड रिकॉर्ड 2
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जब तुमने सहर्ष स्वीकारा है!
जब तुमने सहर्ष स्वीकारा है!
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
तुम मेरा साथ दो
तुम मेरा साथ दो
Surya Barman
ना गौर कर इन तकलीफो पर
ना गौर कर इन तकलीफो पर
TARAN VERMA
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
मेरा लड्डू गोपाल
मेरा लड्डू गोपाल
MEENU
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कुछ तो तुझ से मेरा राब्ता रहा होगा।
कुछ तो तुझ से मेरा राब्ता रहा होगा।
Ahtesham Ahmad
Dr Arun Kumar Shastri
Dr Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पुस्तकें
पुस्तकें
नन्दलाल सुथार "राही"
विधाता छंद
विधाता छंद
डॉ.सीमा अग्रवाल
घूंटती नारी काल पर भारी ?
घूंटती नारी काल पर भारी ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जीवन में ठहरे हर पतझड़ का बस अंत हो
जीवन में ठहरे हर पतझड़ का बस अंत हो
Dr Tabassum Jahan
तृष्णा के अम्बर यहाँ,
तृष्णा के अम्बर यहाँ,
sushil sarna
भाव में शब्द में हम पिरो लें तुम्हें
भाव में शब्द में हम पिरो लें तुम्हें
Shweta Soni
बिन शादी के रह कर, संत-फकीरा कहा सुखी हो पायें।
बिन शादी के रह कर, संत-फकीरा कहा सुखी हो पायें।
Anil chobisa
हकीकत
हकीकत
dr rajmati Surana
बलिदान
बलिदान
Shyam Sundar Subramanian
वोट दिया किसी और को,
वोट दिया किसी और को,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
निर्णय लेने में
निर्णय लेने में
Dr fauzia Naseem shad
कुछ नही हो...
कुछ नही हो...
Sapna K S
रोशनी का रखना ध्यान विशेष
रोशनी का रखना ध्यान विशेष
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
2822. *पूर्णिका*
2822. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
Rituraj shivem verma
पीड़ित करती न तलवार की धार उतनी जितनी शब्द की कटुता कर जाती
पीड़ित करती न तलवार की धार उतनी जितनी शब्द की कटुता कर जाती
Sukoon
उनको असफलता अधिक हाथ लगती है जो सफलता प्राप्त करने के लिए सह
उनको असफलता अधिक हाथ लगती है जो सफलता प्राप्त करने के लिए सह
Rj Anand Prajapati
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गायें
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गायें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
माँ भारती के वरदपुत्र: नरेन्द्र मोदी
माँ भारती के वरदपुत्र: नरेन्द्र मोदी
Dr. Upasana Pandey
भूमि भव्य यह भारत है!
भूमि भव्य यह भारत है!
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
Loading...