जिनके कारण बसन्त यह आया (गीत)
जिनके कारण बसन्त यह आया (गीत)
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(1)
हमें बसन्ती मौसम की मदमाती गन्ध लुभाती
हमें नशे में घुली हवा है मस्ती में भर जाती
हमें कूक कोयल की, गेंदे की सुन्दरता भाती
हमें पता है रात चाँदनी ,खुशबू भर-भर लाती
हमें जानना मगर जरूरी, सूरज क्यों मुस्काया
याद करो उनको, जिनके कारण बसन्त यह आया
(2)
जैसे झरे पेड़ से पत्ते जान सहर्ष गँवाते
वे बर्फीली चोटी पर अपना कर्तव्य निभाते
उनके लिए शहारत ही वीरों का धर्म कहाते
उनके लिए देश की सीमा घर-आँगन बन जाते
जहाँ हड्डियाँ गलने लगतीं ,ध्वज-भारत फहराया
याद करो उनको, जिनके कारण बसन्त यह आया
(3)
जो जिन्दा हो गए दफन ,बर्फीले तूफानों में
लगी आग जिनके परिवारों-घर के अरमानों में
पड़ने बसन्त के गीत नहीं जो देते थे कानों में
चले लिखाने नाम देश के गौरव-बलिदानों में
बड़े कीमती रत्नों को अपनों से दूर गँवाया
याद करो उनको,जिनके कारण बसन्त यह आया
(4)
इस बसन्त की कीमत तरुणाई दे गई चुकाई
इस बसन्त की कीमत विधवाओं की करूण रुलाई
इस बसन्त की कीमत बेटों से जो हुई विदाई
इस बसन्त की कीमत घर से है छह माह जुदाई
डेढ़ वर्ष का बच्चा है, यह जो अनाथ कहलाया
याद करो उनको, जिनके कारण बसन्त यह आया
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रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451