जिद
जितना दूर जाओ
उतना वह और
पास आते हैं
कुछ लोग
दिल से नहीं
अपनी जिद के चलते
रिश्ते निभाते हैं
फिर जिद करना तो
मुझे भी आता है
अब मैं उनसे
न दूर हूं और
न पास हूं
एक स्थान पर
स्थिर होकर खड़ी हूं
तन नियन्त्रण में है और
मन बेकाबू नहीं
सागर की
जिस लहर को
आना है
जाना है जाये
नहीं आना नहीं
आये
दूर जाना है
चली जाये
पास आना है
आ जाये
जैसा इसका दिल चाहे
वैसा वैसा वह करती जाये
दिन में इसे
सौ सौ बार दोहराये
मुझे क्या फर्क पड़ता है
मुझे तो न कहीं जाना है
न किसी को अपने पास
अपनी इच्छा से बुलाना है
किसी बेमतलब की बात को
दिल पर लेना ही नहीं है
अपने हाथ में रखना है
खिड़की का खोलना या
बंद करना
किसी की प्यार भरी बातों
बिना बात की बातों
प्रेम के ढोंग और दिखावे के लिए
अपने मन का दरवाजा
खोलना ही नहीं है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001