Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Feb 2022 · 1 min read

जिंदगी

ये जिंदगी कुछ दिन बचपना के
कुछ दिन जवानी में फिर बुढ़ापे में
यूंही कट जाती हैं राहें ज़िन्दगी के
छोटी किन्तु एक कशिश मिठास – सी ।

अनमोल भी, राहें में भी मिलती वो अल्फाज़
तन – मन में तार लगा दे प्रणय बन्धन के
एक – एक, दो भी साथ फिर हो सृजनधार
इसे भी तन्हा कर दे, रहमन भी दे उजाल

स्वप्निल में जगा, देखा, फिर वो बीती बीती ख़्याल
प्रस्तर थी उठान – सी , कौन हो इससे पार सदा
सहर्ष संघर्ष स्वीकार थी देते फिर कौन‌ पनाह
बात बीती, जग चला फिर किसका दें उन्मुख गान

जिल्द – जिल्द में छायी एक – एक हो फिर जगहार
लौटती तस्वीर भी देखी पुष्प किरणों में बिखरती
कर‌ श्रृंगार प्रतिबिंब दिखाती अंदर से रहस्य पूछो सार
दीवानी गयी मरघट में, दे कौन निमंत्रण हो एकसार

अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय बिहार

Language: Hindi
1006 Views

You may also like these posts

*डॉ अरुण कुमार शास्त्री*
*डॉ अरुण कुमार शास्त्री*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
नारी ने परचम लहराया
नारी ने परचम लहराया
Seema gupta,Alwar
प्रकृति को जो समझे अपना
प्रकृति को जो समझे अपना
Buddha Prakash
🇮🇳 स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं 🇮🇳
🇮🇳 स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं 🇮🇳
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*होली: कुछ दोहे*
*होली: कुछ दोहे*
Ravi Prakash
sp150 नहीं कोई सर्वज्ञ
sp150 नहीं कोई सर्वज्ञ
Manoj Shrivastava
"हां, गिरके नई शुरुआत चाहता हूँ ll
पूर्वार्थ
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
" स्त्री 2 से लौटेगी बॉक्स ऑफिस की रौनक़ " - रिपोर्ट
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
*नारी हूं मैं*
*नारी हूं मैं*
ABHA PANDEY
बैंकर
बैंकर
Khajan Singh Nain
#सीधी_बात-
#सीधी_बात-
*प्रणय*
शाकाहारी
शाकाहारी
डिजेन्द्र कुर्रे
कशमकश
कशमकश
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
वह आखिर क्यों मर गई
वह आखिर क्यों मर गई
Shweta Soni
सुकुमारी जो है जनकदुलारी है
सुकुमारी जो है जनकदुलारी है
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
तुम
तुम
Sangeeta Beniwal
वो  हक़ीक़त  पसंद  होती  है ।
वो हक़ीक़त पसंद होती है ।
Dr fauzia Naseem shad
श्री राम आ गए...!
श्री राम आ गए...!
भवेश
बिछोह
बिछोह
Lalni Bhardwaj
संघर्ष की आग से ही मेरी उत्पत्ति...
संघर्ष की आग से ही मेरी उत्पत्ति...
Ajit Kumar "Karn"
स्वर्ग नरक कवि रत्न
स्वर्ग नरक कवि रत्न
Sudhir srivastava
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
3788.💐 *पूर्णिका* 💐
3788.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कब बरसोगे बदरा
कब बरसोगे बदरा
Slok maurya "umang"
अब  रह  ही  क्या गया है आजमाने के लिए
अब रह ही क्या गया है आजमाने के लिए
हरवंश हृदय
सखी ये है कैसा सावन।
सखी ये है कैसा सावन।
श्रीकृष्ण शुक्ल
"आशिकी ने"
Dr. Kishan tandon kranti
गज़ल क्या लिखूँ मैं तराना नहीं है
गज़ल क्या लिखूँ मैं तराना नहीं है
VINOD CHAUHAN
" दिल गया है हाथ से "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
Loading...