जिंदगी
कभी तप्त धूप सी, तो कभी सघन छाया है जिंदगी।
है मेरी समझ से परे, न जाने क्या माया है जिंदगी।
कभी हँसी की फुहारें, तो कभी आंसुओ का सैलाब है जिंदगी।
कभी सिकुड़ी सिमटी सी, तो कभी समुन्दर सा फैलाव है जिंदगी।
कभी खुशियों से भरपूर, तो कभी ग़मो से भरा मेला है जिंदगी।
कभी बिल्कुल घुटन सी, तो कभी झूमती हवा का रेला है जिंदगी।
कभी बहुत बेरंग सी, तो कभी इंद्रधनुष सी रंगीन है जिंदगी।
कभी उलझनों का तानाबाना, तो कभी सरल सपाट है जिंदगी,
कभी उपदेश से भरी हुई, तो कभी सीखने लायक पाठ है जिंदगी।।
कभी उदासी से ओतप्रोत, तो कभी बहुत ही हसीन है जिंदगी।
कभी खुद में ही सवाल, तो कभी उन सवालों के जवाब है जिंदगी।
“मलिक” की नजर से देखियेगा जनाब, बहुत ही लाजवाब है जिंदगी।।
“सुषमा मलिक”