जिंदगी
कभी इधर ,
कभी उधर,
सफर चल रहा है,
समय बदल रहा है|
कई लोग आये हैं,
कई लोग जायेंगे,
लेकिन खुद को हम ही सवारेंगे|
कहीं ये सफर रुक न जाएँ
यू ही चलते-चलते,
हम कहीं भटक ना जाएं
यू ही चलते-चलते|
फ़िर नये किस्से,
फ़िर नई कहानियाँ बनेंगी|
पल दो पल की है जिंदगी,
किसको पता कहाँ ले जाए ये जिंदगी,
पता नहीं कब,कौन बिछड़ जाए?
और कब, कहाँ वो बिछड़ा हुआ याद आये|
कहना बस इतना है,
यहां पर सब सपना है,
जाग जाओ और आगे बढ़ो,
क्योकी समय कौन सा अपना है|
जिंदगी का नाम है भागना,
सब हांफ जाते हैं,
देख कर दूसरो की तकलीफ़ें,
सब काँप जाते हैं|