जिंदगी
1–कभी खुशियों का समंदर साम्राज् कभी गम के आंशुओं में डूबती उतराती खुद के सुकून के पल दो पल खोजती जिंदगी।।
कभी अरमानो केआसमान की परवाज तो कभी चुनौतियों से जंग लड़ती जाबाज जिंदगी।।
रिश्तों का प्यार नफरत दुनिया का सच कभी रिश्तों रंजिस के जंगो में सिमटती उलझती अपने वजूद को तलाशती सच झूठ का झमेला जिंदगी।। नाटक गीत संगीत मन मीत स्वर साज आवाज अंदाज़ ख़ास खासियत का आगाज़ है जिंदगी।।। मकसदों की तलाश रफ्तार कभी यहाँ कभी वहाँ ठहराव रेलगाडी की तरह चलती तो नियत समय पर अपनी मंज़िल की तरफ मगर तमाम मुस्किलो से रूबरू होती कभी लेट तो कभी भटक जाती जिंदगी।।
जिंदगी उत्साह उमंग तरंग तरन्नुम तराना है कभी जीत कभी हार का सामना ।।
तमाम हालात मुकाम से गुजरती कभी दौड़ती कभी उलझती गिरती उठती संभलती दौड़ती जिंदगी।।
बुलंद इरादों ईमान की शान जिंदगी कभी दीन हींन कायर कमजोर असहाय अफ़सोस जिंदगी।।
नांदलाल मणि त्रिपाठी पितम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश
2–जिंदगी जन्म रिश्तों परिवार में रिश्तों के लिये जीती चलती रिश्तो पे मरती कभी रिश्तों के दर्द कभी रिश्तों के मरहम मुसाफिर की जिंदगी।।
प्यार के सतरंगी सपनो का साकार जिंदगी कभी नफरतों के नस्तर से घायल ग़मगीन जिंदगी।।
कभी वफ़ा वफाई का इनाम जिंदगी कभी बेवफा बेवफाई रुसवाई तन्हाई जिंदगी।।
अपनों से लड़ती गौरों पे मर मर मिटती कभी अपनों से शिकायत गैरो पे इनायत करती है जिंदगी।।
प्रेम करुणा दया क्षमा सत्य सत्यार्थ प्रकाश है जिंदगी कभी द्वेष दम्भ अहंकार अभिम्मान अन्धकार में भटकती है जिंदगी।।
गुरुर की गर्मी में लूट मिट जाती जिंदगी कभी सौम्यता विनम्रता के पुरुषार्थ की परमार्थ है जिंदगी।।
इश्क मोहब्बत का जज्बा जूनून सुरूर नशा जानेमन की जान की जान है जिंदगी ।।
जिंदगी जंग है तमाम चुनौतियों का संग्राम है कभी तनहा कभी भीड़ के करवा का हमसफ़र साथ है जिंदगी।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश
3- जिंदगी कभी सागर की गहराई आसमान की ऊंचाई कभी समंदर के तुफानो के हालत से रूबरू कश्ती की मांझी कभी बवंडर बवाल से गुजरती जिंदगी ।।
कभी भीड़ में तन्हा खोया खोया खुद को खोजती जिंदगी कभी तनहा भीड़ के मकसदों की मंज़िल की कश्ती जिंदगी।।
कभी इंतेहा इम्तेहान देती जिंदगी कभी इंतेहा इम्तेहान लेती जिंदगी आंसू गम मुस्कान जिंदगी।। जिंदगी के रंग रूप जश्न जलवे अनेक जैसा जो चाहता जिंदगी उसके रास्तो का बनाती वक्त बया हालात कभी इंसान जीत जाता हार जाती जिंदगी।।
जिन्दा दिली नेक नियति के ईमान है जिंदगी जीवेत जाग्रम का साथ है जिंदगी।।
मगर यारों जिंदगी मुस्कारने का नाम हार कर् भी जीत जाने का अंदाज जिंदगी ।।
जंगो जीतने का जज्बा जज्बात की चमन बहार है जिंदगी।।
जिंदगी हाला प्याला मधुशाला निडर निर्भीक साहसी कर्म धर्म का शाल वर्तमान तक प्रेरक प्रेरणा प्रमाणिक पुराण है जिंदगी।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश
4– जिंदगी मझधार है पतवार है किनारा साथ है सहारा प्यार है प्यारा मस्ती की हस्ती का मतवाला है जिंदगी।।
बुलंद हौसलो महबूत इरादों बुनियाद की फौलाद अडिग चट्टान दृढ़ता की मुस्कान है जिंदगी।।
जिन्दगी उसी की है जिसे जिंदगी ने जाना ,जिंदगी उसी की है जिसने जिंदगी को जाना।।