जिंदगी
समंदर मचल जाते धारायें बदल जाती
पराये कहां अपनो की नियत बदल जाती
सुंदरता ढल जाती तस्वीरें धुंधला जाती
जीवन नही रह जाता सांसे नही चल पाती
कड़वी बातें मीठी बातें सब बेमानी हो जाती
सुख दुख अपने रिश्ते गुजरी बातें हो जाती
वक्त का पहिया घूमता तस्वीर बदल जाती
जमाने गुजर जाते यादें भी सिमट जाती
ऐ मुसाफिर चलता चल राहें तुझे बुलाती
ख्वाब नये बुनता चल उम्मीदें तुझे जगाती
हंसायेगी रूलायेगी जिंदगी अदाएं दिखाती
कांटो भरी राह ही सम्भलना तुझे सिखाती
प्यार करेगी मनुहार करेगी गले से लगाती
फूलों से सजायेगी बारिस बूदों से नहलाती
सत्कर्म कर परहित मन शांत रख ऐ प्राणी
झंझावातों से परे जिंदगी चिर निद्रा सुलाती
स्वरचित
मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर