जिंदगी
राहे गर्दिश मे कोई हमनवा नही!
है वो खुशनसीब जिसे किसी ने ठगा नही!!
इतनी बेताबी ज़हन मे अच्छी नही!
बनते है सब अपने,पर कोई भी सगा नही!!
अहले करम समझिए कोई दोस्त है!
इस ज़माने मे दोस्ती कर दिया है दगा नही!!
राह मे हर किसी को हमराज मत बना,
अहले सफर जगाता रहा, पर तू जगा नही!!
मौलिक रचना सर्वाधिकार सुरछित
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट,कवि,पत्रकार
202 नीरव निकुजं,फेस,-2,सिकंदरा,आगरा-282007
मो:9412443093