जिंदगी
प्यार बांटा नहीं जाता हर किसी के लिए
हर कोई सह रहा है सितम जिंदगी के लिए
मौत आनी है इक दिन सबको है पता
फिर भी इंसा लड़ रहा है जिंदगी के लिए
लड़ते-लड़ते जिंदगानी गयी प्यार की खोज में, यार की खोज में
कोई मर रहा है इंसानियत की चाह में, तो कोई फिदा है हैवानियत की राह में
कोई खोया है हुस्न के बाजार में, तो कोई डुबा है शराब के आगोश में
हर घूंट जाती है रंजो गम के नाम पे, तो कोई पिये जा रहा है खुशीयों के नाम पे
जिंदगी न हुआ जुझ का खेल हो गया, जिसने चाहा जैसे चाहा दांव पर दांव चलता रहा
जिंदगी को लेकर हर शख्स यहाँ दिवाना हुआ
पर एक दिन चार कंधो पर चढ़कर रवाना हुआ
रंजो गम और खुशीयों को छोड़कर जिंदगी से बेगाना हुआ