जिंदगी है एक गाड़ी
जिंदगी है एक गाड़ी ,जो चलती है संग चाबी।
जो चलती है , सग चाबी चाबी।
चाबी है भगवान के हाथ, जो बनाता इसकी रफ्तार और चाल।
न कंडक्टर है ,न ड्राइवर ,न स्टेरिंग है ,न
पैसेंजर।
ना लेती यह डीजल और पेट्रोल के दाम,
क्योंकि यह तो है किस्मत के नाम।
न बनी लोहे से न हुआ पेंट, भगवान ने बनाया हड्डियों से दिया सुनहरी रंग ।
एक बार उतरना है इस गाड़ी से एक बार चढ़ना है ,अगर छूट जाए तो उसी का नाम मरना है।