जिंदगी है एक खेल
जिंदगी है एक खेल अनोखा ,
तभी तो इसमें बड़े – बड़े ,
इन्सान भी खा जाते हैं धोखा।
जिंदगी की रफ्तार है बड़ी तेज,
तभी तो इसका नहीं कही मिलता तेल।
जिंदगी है कुदरत का एक सुंदर तोफा,
मत मानो इसे अपने घर के अंदर का सोफ़ा।
यह चलती है उतनी ,
जितनी भरी गई है इसमें चाबी।
यह नहीं चलती किसी के कहने ,
पर यही है इसमें खराबी।
इन्सान सोचता है चलाऊंगा,
इसे अपने दिमाग से।
लेकिन ये चलती है ,
अपने हिसाब से।