जिंदगी तू हलकान नजर आती है
जिंदगी तू हलकान नजर आती है
खुद से ही पशेमान नजर आती हैं
शोर-गुल हुआ कर्ता था जिन पर, वो
राह सारी वीरान नजर आती हैं
लापता हैं उस घर से वो इक अर्से से
माँ की आंखे हैरान नजर आती हैं
ग़म को हम छिपा भी तो नहीं सकते हैं
हर किताब उनवान नजर आती है
वो रूठे है हमसे जो ख़ता की उसनें
कुछ दिनों कि महमान नजर आती हैं
था गुमाँ ये मंज़िल को पाने का उनको
हर सफ़र में आसान नजर आती है,