जिंदगी तुम्हारी है।
हार मान लोगे
यहां फैसला लोगे।
जिंदगी तुम्हारी है,
ठान लोगे,
तो चल ही लोगे।
कदम दो कदम तो
मजबूरियां भी चलवा देती है।
लंबे सफर के लिए तो,
मकसद बनाना पड़ता है।
लोगों को परवाह नहीं,
कामयाब बनो या नहीं।
फर्क बस तुम्हें पड़ता है,
तुम्हारे बारे में,
चौराहे पर,
क्या क्या बात होती हैं?
ये तुम्हें क्या पता,
लेकिन तुम कर्म के प्रति
ईमानदार हो या नहीं,
यह तो है तुम्हें पता।
✍️ विजय महाजन प्रेमी