जिंदगी तुझमे भी मेरा दख़ल होता
जिंदगी तुझमे भी मेरा दख़ल होता ।
हाथों में मेरे भी मेरा कल होता ।
न हारता हालात से कभी ,
बदलता हर हालत होता ।
अँधेरे न समाते उजालों में कभी ,
अँधेरों से भरा न कोई कल होता ।
महकता गुलशन हर घड़ी ,
उजड़ा न कोई चमन होता ।
रूठता न अपने भी कभी ,
अपना न कोई गैर होता ।
ज़िंदगी तुझमे भी…
… विवेक दुबे”निश्चल”@…