जिंदगी ढल गई डोलते रह गये
कर न पाये कभी सोचते रह गये।
वक्त की चाल पर देखते रह गये।।(१)
वो गली से हमारी रहे थे गुजर,
रोक पाये नहीं बोलते रह गये।(२)
बात उनकी हमें खूब अच्छी लगी,
ठीक है या गलत,तोलते रह गये।(३)
गांठ रिश्तों में’ ऐसी लगी आज है ,
खुल न पायी तनिक खोलते रह गये।(४)
राह मिलती नहीं हम भटकते फिरें,
जिंदगी ढल गई डोलते रह गये।(५)