जिंदगी क्या है ?…
जिंदगी क्या है ?
गम का दरिया है ।
डूबना – उभरना जिसकी ,
तकदीर में लिखा है ।
जिंदगी क्या है ?
एक जलता हुआ दीया है ,
उतनी देर ही जलेगा ,
जितना उसमें तेल रखा है ।
जिंदगी क्या है ?
एक रहस्यमय किताब है ।
जिसके अगले पन्ने में ,
मालूम नहीं क्या लिखा है ।
जिंदगी क्या है ?
एक नगमा है ,
जिसे चाहे या ना चाहे दिल ,
फिर भी गुनगुनाना है ।
जिंदगी क्या है ?
एक जुआ है ,
जज्बातों का जहां दाव पर ,
लगना लाज़मी है ।
जिंदगी क्या है ?
एक अनजाना सफर है ,
जिसका अगला पड़ाव क्या है ?
कब यह शुरू हुआ ,
कब खत्म होगा ,
किसी को नहीं पता है ।
जिंदगी क्या है ?
एक अनसुलझी पहेली है,
सारी उम्र गुजर जाने पर भी ,
इंसान समझ नहीं पाता है ।
इस जिंदगी के बारे में बस
इतना कहना काफी है ।
यह ईश्वर के हाथ का खिलौना है ,
जब चाहें जैसे नचाए ,
कभी बनाए ,कभी तोड़े ।
उसकी मर्जी पर टिका हमारा यह
पूरा अफसाना है।