जिंदगी क्या है?
ख्वाब नहीं, ज़िंदगी एक हकिकत है
एक क्षितिज पे दो जहान का संगम है।
इसका हर पहलू ख्वाब से होकर गुज़रे
राह नहीं, जिंदगी तो एक मंजिल है।
सुंदर सा सपना, तो कभी टूटता ख्वाब है
रंगीन होकर भी बेरंगीन ये जिंदगी है।
बिखर गई, तो तमाशा है ये जिंदगी
संवर गयी तो जन्नत सी खुबसूरत है।
गम भुलाने के लिए एक खुशी काफ़ी है
ठहराव नहीं, जिंदगी तो एक बहाव है।
गुनगुनाए तो एक गीत, नहीं तो खेल है
जिंदगी तो वक्त का एक कारवां है।
ज़िंदा-दिली का नाम ज़िंदगी है, वर्ना
मुर्दा-दिल के लिए राख ये जिंदगी है।
– सुमन मीना (अदिति)