जिंदगी की दौड़ में
ढूँढने से नही मिलते हालात हुआ ऐसा,
जिंदगी की दौड़ में सब यार खो रहे हैं।
नेक है इरादा दिल भी पवित्र उनका,
पर व्यस्तता का बोझ दिनरात ढो रहे हैं।
बेरोजगार हैं वो बीता समय पठन में,
अब चाकरी के खातिर चुपचाप रो रहे हैं।
नेता हैं सभी क़ाबिल इस देश के बेचारे,
झोली वो अपनी भरके बिंदास सो रहे हैं।