जिंदगी की “दौड़”
लाई बीमारी रईस जादो ने,
दरबदर मजदूर हो गया।
लापरवाही हुई है एयरपोर्ट पर,
इंसान सड़क पर मजबूर हो गया।।
लाया जा रहा उन्हें विदेशों से,
जिन्हें हिंदुस्तान नहीं भा रहा था।
मेरे देश का गरीब शहर आया था रोटी की तलाश में,
कुचल दिया उसे शहर ने, वक्त ने,
जो हालातों से थका हारा पटरी पर सो रहा था
है कोई और गुनहगार इन हालातों का,
और सजा कोई और भुगत रहा है।
इस कठिन दौर में है और क्या कहे,
आहत है हृदय मन व्याकुल हो रहा है।।
अब समय है इंसानियत निभाने का,
इंसान को इंसान के काम आने का।
जिससे जैसा हो सके,अपना फर्ज निभाये
भारत मां संतान सब, भाइयों को बचाए।।