जिंदगी का फ़लसफ़ा
जिंदगी का फ़लसफ़ा
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ये जिंदगी का फ़लसफ़ा ,
आसाँ नहीं समझना ।
वो शख्स नसीबोंवाला ,
जो खुद को है जीत पाया।
वक़्त के नाजुक हाथों से ,
जिंदगी फिसलती है ।
सुबह शाम हर मोड़ पर ,
एक द्वंद्व नयी होती है।
आराम से जी पाते नहीं,
ख्वाबों को ढोते ढोते ।
है चांद दिल में उतरा ,
पर चांदनी नहीं है ।
कभी पास आकर बैठो,
आपस में बातें करते ।
इत्तेफाक से मिले हैं ,
मजबूरियां तो समझो।
कुछ वक़्त जो मिला है ,
संग मिल के गा ले हम ।
फिर अजनबी बनते हैं ,
अगले जन्म जो मिलते ।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १५ /१२ / २०२१
शुक्ल पक्ष , द्वादशी , बुधवार
विक्रम संवत २०७८
मोबाइल न. – 8757227201