जिंदगी का सच
जिंदगी का सच हमें,
सच में खंडहरों में कुरेदा मिलता है।
परंपराओं व विचारों की श्रृंखला में,
रुपकारों व कलाकारों से उगलता है।
कृतियाँ तहजीब, संस्कारों से परे हो,
वर्तमान को ढोए टुकड़े-टुकड़े जीती हैं।
अभी भी पत्थरों की धड़कन में,
वही वैसा संसार रचा बसा सा लगता है।
…..शशि दीपक कपूर