जिंदगी का पथ
जिंदगी का पथ
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तन्हा -तन्हा सी हे जिंदगी,
कोई साथी नहीं।
जीवन में खालीपन हे अ धूरा-अधूरा
मुकम्मल तो जहां में, कोई होता नहीं।।
अपने लिए नहीं,अपनो कि खुशी के लिए।
जीता हे तां जिंदगी मानुष,
रिवाजों के लिए।
तोड़ सकते नहीं दिवारें विरासत की,
संभाल कर रखना तुम—
आधुनकि ता की हौड़ में नैतिकता
और बड़ो का आदर न भूलना तुम।।
एक पथ दिखाना तुम,
नया पथिक प्रदर्शक बनकर।
असीम शक्ति नवचेतना से,
स्वर्णिम समाज का निर्माण कर।।
बांट देंगे संघर्षं अपना जहान में,
करके नव निर्माण—
बना देंगे एक न ई मिसाल समाज में।।
तनहाईयों को बना लेंगे साथी अपना,
जीने के लिए—
जो अब तक लगता था एक सपना।।
सुषमा सिंह *उर्मि,,