जिंदगी और वक्त
जिंदगी में एक बात तो समझ में आई है की
आप भले ही कितने ही समझदार हो या आप कितने ही प्रेक्टिकल हो
कितना भी हर बात को अच्छे से समझते हो
कितने ही अच्छे जिम्मेदार इंसान हो
कितने ही पत्थर दिल हो
कितने ही ताकतवर हो
मगर
कभी कभी किसी इंसान की बातें
खास कर उस इंसान की जो की जिंदगी से जा चुका है
वो बाते अक्सर अचानक से उदास कर देती है
अचानक से कुछ टूटा हुआ सा महसूस होने लगता है
लगता है जैसे बहुत कुछ होते हुए भी कुछ नही है जीवन में
अचानक से गला भर आता है मगर किसी को कुछ बताने या समझाने के लिए हमारे पास शब्द नहीं होते की कैसे समझा पाए जो महसूस कर रहे है
उस वक्त लगता है की जी भर के रो लिया जाए तो एक बोझ जो की दिल में भरा हुआ है वो आंसू जो पलको तक आ गए मगर आंखो से निकल नही पाए उन तमाम आंशुओ को निकलने के लिए ठिकाना मिल जाए
लगता है की उस वक्त अगर वो इंसान जिसकी वजह से ये सब हो रहा है वो सामने आ जाएं और सिर्फ इतना सा पूछ ले की क्या हुआ कैसे उदास हो और अगर झूठ भी कह दूं कि ठीक हूं और वो ना माने की ठीक नही हो और जबरन हमसे वो सारी बाते जानना चाहे जो की हम दबा के बैठे
तो सच कहूं उस वक्त शब्द की जगह आंसू निकले और उससे लिपट कर किसी छोटे बच्चे की तरह रो पड़ूं और तब तक रोता रहूं जब तक की वो सारी बाते वो सारा बोझ हल्का ना हो जाए
इसे लिखते हुए आंसू निकल पड़े हैं 🥺🥲