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17 Feb 2024 · 1 min read

जिंदगी और मौत

मैं अपनी जिंदगी को साथ लेकर
चलने का प्रयास करता
वही मौत भी
मेरी जिंदगी से
मिलने का दुस्साहस करती है
और मैं मूक दर्शक बनकर
उन दोनों के बीच आभासित
संघर्ष को देखता रहा
कभी-कभी तो आश्चर्य होता है
इनके रंग रंग देखकर
चेतना जागृत होकर कह उठती है
कि जिंदगी स्वयं एक अनुभव है
जिसे अक्सर लोग भूल जाते हैं
पर मौत तो अनुभव से परे
यथार्थ बोध की वह दुखद अनुभूति है जो चिंतन के क्षण में सुखद कल्पना में जाकर परिवर्तित हो जाती है
@ओम प्रकाश मीना

Language: Hindi
153 Views
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