जिंदगी एक खेल है , इसे खेलना जरूरी।
न हारना जरूरी न जीतना जरूरी
ये जिंदगी एक खेल है , इसे खेलना जरूरी।
जब तक के तुम बेठो, हर ठोकरों के बाद
कुछ देर रूककर , फिर चल पड़ना मेरे यार
ये मुझसे ही हो पायेगा , तुम बोलना हर बार
न हारना जरूरी न जीतना जरूरी,
ये जिंदगी एक खेल है , इसे खेलना जरूरी।
हर यत्न के बावजूद हो जाती है, कभी हार,
होके निराश मत बैठना , मेरे यार।
बढ़ते रहना आगे चाहे , जैसा हो मौसम ,
पा लेती है चींटी भी , गिरकर कई बार।
न हारना जरूरी न जीतना जरूरी
ये जिंदगी एक खेल है , इसे खेलना जरूरी
जिद करो आगे बढ़ो , यत्न करो हर बार,
जो लिखा नहीं लकीरों मे , वो हासिल होगा यार।
गर चाहते हो धरा पर खुदा ले अवतार,
तो वो करो ,जिससे तुम्हे दुआ मिलें हजार।
पानी को बर्फ बनने में ,समय लगता है ,
ढले सूरज को निकालने में वक्त लगता है ।
‘दीप’ न मायूस हो , न उदास हो,
तू तो हल्की सी चिंगारी से भी रोशन हो सकता है।
-जारी
©कुल’दीप’ मिश्रा