जाम लाओ शराब ले आओ
जाम लाओ शराब ले आओ
आज फिर बेहिसाब ले आओ
सीखना है सबक मुहब्बत का
जाओ दिल की किताब ले आओ
जिसमें ख़ुशियाँ लिखीं अधूरी हैं
दर्द की वो किताब ले आओ
इनकी आँखों में खुश्क मंज़र हैं
कोई अच्छा सा ख़्वाब ले आओ
हमने ‘आनन्द’ तख़्त छोड़ दिया
जाओ हम सा नवाब ले आओ
– डॉ आनन्द किशोर