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3 Jul 2016 · 1 min read

जान मुझ पे निसार करता है

जान मुझ पे निसार करता है
प्यार वो बेशुमार करता है

सोचकर वो कभी मिलेंगें फिर
रोज दिल इंतज़ार करता है

रंक हो या यहाँ कोई राजा
वक़्त सब का शिकार करता है

पाँव में लग न जाये मेरे वो
दूर राहों से खार करता है

आज कल प्यार की नदी को वो
भूल कर भी न पार करता है

स्वप्न मेरे बिखर न जायें फिर
वो खिजाँ को बहार करता है

आज भी अर्चना की बातों पर
वो बड़ा ऐतबार करता है

डॉ अर्चना गुप्ता

6 Comments · 755 Views
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