*जानो तन में बस रहा, भीतर अद्भुत कौन (कुंडलिया)*
जानो तन में बस रहा, भीतर अद्भुत कौन (कुंडलिया)
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जानो तन में बस रहा, भीतर अद्भुत कौन
जिसके कारण तन मुखर, लेकिन खुद जो मौन
लेकिन खुद जो मौन, दिए सौ वर्ष विधाता
असफल बारंबार, मनुज पर ढूॅंढ न पाता
कहते रवि कविराय, खाक भीतर की छानो
खोजो भीतर आत्म, रूप असली निज जानो
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451